आजतक के लिए नंबर 1 पर वापसी की राह अब बेहद मुश्किल है!

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आज आई टीआरपी के साथ ही रिपब्लिक भारत ने ये साफ कर दिया है कि आजतक के लिए नंबर वन पर वापसी की राह अब बेहद मुश्किल है। महीने भर से भले ही रिपब्लिक ने सिर्फ सुशांत, रिया, कंगना, उद्धव जैसे मुद्दों के सहारे ही नंबर वन पोज़ीशन कब्जा रखी हो, लेकिन इस एक महीने में इसने अपने स्थायी दर्शक बना लिए हैं, जिन्हें तोड़ने में आजतक की हर कोशिश नाकाम रही है।

रिपब्लिक भारत न सिर्फ नंबर 1 है, बल्कि आजतक से पूरे 5 अंक आगे है और ये फर्क बहुत बड़ा है। उलटफेर की बात करें तो नंबर 3 के लिए इंडिया टीवी और टीवी 9 भारतवर्ष के बीच हर हफ्ते चल रहे जबर्दस्त मुक़ाबले में इस हफ्ते इंडिया टीवी तीसरे नंबर पर है। शीर्ष दो चैनलों को छोड़कर सभी ने इस हफ्ते पिछले हफ्ते की तुलना में अपने अंक गंवाए हैं और शीर्ष चार चैनलों को छोड़कर इस हफ्ते भी कोई भी दहाई अंकों को नहीं छू सका है। न्यूज़ 18 की टीम प्रशंसा की पात्र है, जो इतनी जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा और अंक गंवाते जाने के बावजूद नंबर 5 पर है। सिर्फ टॉप 4 चैनलों ने 60 फीसदी से ज्यादा शेयर पर कब्जा कर लिया है। ज़ी न्यूज़ और एबीपी न्यूज़ जैसे चैनलों के लिए अपने इतिहास को दोहरा पाना भी इतिहास बनता जा रहा है।

आमतौर पर चैनलों की टीआरपी वहां की मार्केटिंग टीम को कमाई लाने में मदद करती है। किस उम्र वर्ग के, आय वर्ग के, क्षेत्र के और पॉकेट के यानी शहरी या ग्रामीण टीवी न्यूज़ दर्शक किस वक्त किसे कितना देखते हैं, उसके मुताबिक विज्ञापनदाता चैनलों को विज्ञापन देते हैं और चैनल उस टाइम बैंड का रेट तय करते हैं। मौजूदा आर्थिक बदहाली के दौर में जैसे-जैसे विज्ञापनदाताओं की जेब खाली होती जा रही है, वैसे-वैसे बचे-खुचे विज्ञापनदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए चैनलों पर ज्यादा टीआरपी बटोरने का दबाव बढ़ता जा रहा है।

आप जानते होंगे कि भारतीय टीवी दर्शकों को न्यूज़ में इतनी दिलचस्पी नहीं होती कि वो डीटीएच प्रोवाइडर्स को इसके लिए पैसे दें, इसलिए चैनलों को पूरी तरह विज्ञापन पर ही निर्भर होना पड़ता है। हाल के दिनों में ज्यादातर चैनलों से बड़ी संख्या में निकाले गए मीडियाकर्मियों को कमाई में कमी का ही शिकार बनना पड़ा है और आने वाले समय में ये दौर जारी रहने की आशंका है, चैनल नए लोग लाएंगे, जो पुराने लोगों से कम सैलरी पर होंगे और पुराने लोग उतने ही बचेंगे, जितने चैनल चलाते रहने के लिए ज़रूरी होंगे। अब सोचकर देखें कि मीडिया इंडस्ट्री के हमारे मित्र किस कदर मानसिक तनाव और भविष्य की अनिश्चितता के बावजूद आपको ख़बरों से बाख़बर करने के साथ-साथ ख़बरों से मनोरंजन भी कर रहे हैं। ये आसान नहीं है, लेकिन मीडियाकर्मी होना भी आसान कहां है? रिपब्लिक भारत के मित्रों को पुनश्च बधाई और बाकी चैनलों के साथियों के लिए भी शुभकामनाएं..अपनी जिम्मेदारी निभाते रहें, साप्ताहिक परीक्षा के नतीजे आते रहे हैं, आते रहेंगे, राह दिखाते रहेंगे। आपका दिन शुभ हो।

वरिष्ठ पत्रकार परमेंद्र मोहन के फेसबुक वाल से

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