लंबे इंतजार के बाद BARC ने टीआरपी जारी कर दी है। इस बार की टीआरपी में बड़े उलटफेर भी दिखे हैं। नेशनल चैनल से लेकर रीजनल चैनल तक में नई लहर देखी जा रही है। यूपी-उत्तराखंड की अगर बात करें तो एबीपी गंगा ने सारे रिकॉर्ड धराशाई कर दिए। एबीपी गंगा को लॉन्च हुए अभी तीन साल भी पूरे नहीं हुए लेकिन इस चैनल ने मीडिया जगत में अपनी जो पहचान बनाई है, उसकी झलक BARC की टीआरपी में साफ-साफ नजर आ रही है।
एबीपी गंगा के बुलंदी तक पहुंचने के बाद इस चैनल के संपादक रोहित सावल की हर तरफ चर्चा है। पिछले कुछ दिनों में रोहित सावल ने स्क्रीन पर जितने भी प्रयोग किए, सब सफल माने गए। चैनल की तरफ से बताया गया है कि जुलाई के महीने से ही इलेक्शन की कवरेज शुरू कर दी गई थी। मतलब एबीपी गंगा ने अगर यूपी के सभी रीजनल चैनल को पछाड़ कर नंबर वन का पायदान हासिल किया है तो इसके पीछे चुनावी कवरेज की बड़ी भूमिका है। एबीपी गंगा ने 5 हजार 600 घंटे की मेहनत के बाद ये मुकाम हासिल किया है, जिसके लिए चैनल के संपादक रोहित सावल की हर तरफ तारीफ भी हो रही है।
कुल मिलाकर एबीपी गंगा अगर शीर्ष पायदान पर पहुंचा है तो इसके पीछे चैनल की स्क्रीन और संपादक की सोच है। क्योंकि इस चैनल ने हमेशा निष्पक्ष तरीके से ही कवरेज की, जिसकी खूब सराहना हुई। एबीपी गंगा की कवरेज को ही यूपी के कई रीजनल चैनल ने फॉलो किया। एबीपी गंगा के साहस भरे शब्द और इस चैनल की निष्पक्ष कलम को दर्शकों ने सलाम किया और आज रिकॉर्ड समय में ही इस चैनल को कामयाबी का ताज पहना दिया।
एबीपी गंगा अचानक से पहले नंबर पर नहीं आया है, पिछले आठ महीने से इस चैनल की स्क्रीन पर लगभग सभी मीडिया घरानों की नजर थी। एबीपी गंगा ने कभी चुनाव क्रांति एक्सप्रेस पटरी पर उतारी, तो कभी ट्रैक्टर से रिपोर्टिंग कराकर नए-नए शो दर्शकों के सामने रखे। पदयात्रा, सिंहासन 403, सेनापति, फील्ड मार्शल, रणभूमि रिपोर्ट, लखनऊ चलो जैसे चुनावी शो काफी चर्चित भी रहे। इसके साथ ही एबीपी गंगा के संपादक रोहित सावल के खास शो तरकश की भी चुनाव के दौरान खूब चर्चा हुई। एबीप गंगा की मुखर पत्रकारिता और रोहित सावल की लीडरशिप ने आज एबीपी गंगा को खबरों के अखाड़े का शहंशाह बना दिया है।
Ayush Kumar Jaiswal,
Founder & Editor
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