Sahara
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मीडिया क्षेत्र से जुड़ी हुई एक बड़ी खबर आ रही है। सहारा मीडिया को दो महिला उप-संपादकों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद तीन-तीन लाख रुपये के डीडी सौंपने पड़े हैं। बता दें कि सहारा मीडिया ने कई कर्मचारियों को अवैध रूप से नौकरी से निकाल दिया था। वहीं सहारा के प्रिंट में कार्यरत गीता रावत और रमा शुक्ला भी उन कर्मचारियों में शामिल थीं, जिन्होंने अपने पिछले कई महीनो का बकाया वेतन और मजीठिया वेजबोर्ड को लागू करने की आवाज उठाई थी।

लेबर कोर्ट ने भी दिया था आदेश

जिसके बाद दोनों महिला पत्रकारों ने नोएडा डीएलसी में अवैध सेवा समाप्ति को लेकर वाद दायर किया था और वहां से केस नोएडा लेबर कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया था। लेबर कोर्ट ने 20 अक्टूबर 2023 को दोनों कर्मचारियों को पुरानी सेवा की निरन्तरता के साथ बकाया वेतन व अन्य समस्त हित लाभ समेत अवार्ड प्रकाशन के एक माह के अंदर सेवा में बहाल करने का आदेश दिया था।

सहारा प्रबंधन तीन-तीन लाख का डीडी सौंपा

इस अवार्ड के खिलाफ सहारा प्रबंधन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। जिसमें इस अवार्ड को चुनौती दी गई थी और उसे लागू करवाने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पहले प्रबंधन 15 दिन के भीतर गीता रावत और रमा शुक्ला को नौकरी पर बहाल करे और ज्वाइ‌निंग के समय दोनों को 3-3 लाख रुपये का डीडी दे, इसके बाद स्टे प्रभावी होगा। लेबर कोर्ट में गीता रावत और रमा शुक्ला की तरफ से एआर राजुल गर्ग ने मजबूत तर्क रखे। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील मनमोहन सिंह इनकी तरफ से लड़ रहे हैं। हालांकि सहारा प्रबंधन ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद दोनों कर्मियों को तीन-तीन लाख का डीडी सौंप दिया है।

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