टैक्सपेयर्स के लिए अच्छी खबर है. इनकम टैक्स फाइल (Income Tax Return) करने की आखिरी तारीख को बढ़ा दिया गया है. डेडलाइन 31 जुलाई 2021 थी, जिसे अब बढ़ाया गया है. अब आम टैक्सपेयर्स 30 सितंबर 2021 तक अपना रिटर्न फाइल कर सकेंगे. कोरोना संक्रमण मामले बढ़ने के चलते सरकार ने ये फैसला किया है.टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की वजह से कंपनियों और आम करदाताओं से जुड़ी कई टैक्स तारीखों की डेडलाइन को बढ़ा दिया गया है.
फटाफट जानिए इनकम टैक्स से जुड़ी कौन-कौन सी अंतिम तारीख बढ़ी (Income Tax Return Filing AY 2021-22 Last Date Extended)
(1) एसेसमेंट ईयर 2021-22 (वित्त वर्ष) के इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2021 से बढ़कर 30 सितंबर 2021 हो गई है.
(2) इनकम टैक्स ऑडिट (Income for Tax Audit Assesses) की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर 2021 से बढ़कर 30 नवंबर 2021 कर दी गई है. वहीं, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइनल करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी गई है.
टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं कि टैक्स ऑडिट करदाताओं के खातों की समीक्षा है. ऐसे करदाताओं में खुद का कारोबार करने वाले या पेशेवर सेवाएं देने वाले शामिल होते हैं. इन खातों की समीक्षा इनकम, डिडक्शन, टैक्स कानूनों के अनुपालन इत्यादि के नजरिए से की जाती है.
बिलेटेड/रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ा दी गई है. इसे 31 दिसंबर, 2021 से बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 कर दिया गया है.टैक्स एक्सपर्ट्स बताते हैं कि किसी वित्त वर्ष के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की मूल समयसीमा खत्म होने के बाद बिलेटेड रिटर्न फाइल किया जाता है.
इसके लिए टैक्सपेयर को पेनाल्टी देनी पड़ती है.संशोधित या रिवाइज्ड आईटीआर कोई टैक्सपेयर तब फाइल करता है, अगर उससे ओरिजनल टैक्स रिटर्न फाइल करते समय कोई चूक हो जाती है.
इसमें डिडक्शन का क्लेम भूल जाना, इनकम या बैंक अकाउंट इत्यादि को रिपोर्ट न करने जैसी गलतियां शामिल हैं.
बिलेटेड आईटीआर आयकर अधिनियम, 1961 के सेक्शन 139(4) के तहत फाइल किया जाता है. वहीं, रिवाइज्ड आईटीआर को सेक्शन 139 (5) के तहत दाखिल किया जाता है.
(4) फॉर्म 16 जारी करने की आखिरी तारीख 15 जून 2021 से बढ़ाकर 15 जुलाई 2021 कर दी गई है. आपको बता दें कि फॉर्म 16 आयकर रिटर्न दाखिल करने में मदद करता है. साथ ही इसका इस्तेमाल इनकम के सबूत के तौर पर होता है.
फॉर्म 16 एक सर्टिफिकेट है. इसे कंपनियां अपने कर्मचारियों को जारी करती हैं. यह कर्मचारी की सैलरी से काटे गए TDS (स्रोत पर कर कटौती) को सर्टिफाई करता है. इससे यह भी पता चलता है कि संस्थान ने टीडीएस काटकर सरकार को जमा कर दिया है.
Ayush Kumar Jaiswal,
Founder & Editor
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