9th में हमने विज्ञान की कॉपी नहीं बनायी थी और कॉपी चेक कराने का भयंकर Pressure था….
मैडम भी बड़ी सख्त थीं….
पता चलता उनको तो उल्टा ही टांग देतीं,
पूरे 9 chapter हो चुके थे दूसरे लड़के 40 40 पेज रजिस्टर के भर चुके थे और हमारे पास जो भी था एक रफ़ कॉपी में ही था,
रात तो एक मिनट नींद नहीं आयी, ऊपर से पिता श्री को पता चलने का डर…
चेकिंग का दिन आया, मैडम ने चेकिंग शुरू की….21 रोल नंबर वालों तक कि कॉपी चेक हुई और घंटा लग गया, हमने राहत की सांस ली…तभी मैडम ने जल्दी जल्दी में कहा कि सभी बच्चे कॉपी जमा कर दो मैं चेक करके भिजवा दूंगी…
तभी हमारा शातिर दिमाग घूमा,
हम भीड़ में कॉपियों तक गए और जैसे बीजगणित में मान लेते हैं न ठीक वैसे ही हमने मान लिया कि कॉपी हमने जमा कर दी ..
अब कॉपी का टेंशन मैडम का..
2 दिन बाद सबकी कॉपी आयीं, हमारी नहीं आयी…आती भी कैसे ..
अब हम गए मैडम के पास की मैडम हमारी कॉपी नहीं आयी, वो बोलीं की मैं चेक कर लूंगी staffroom में होगी,
अगले दिन हम फिर पहुच गए कि मैडम हमारी कॉपी,
मैडम बोलीं कि स्टाफरूम में तो है नहीं मेरे घर रह गयी होगी कल देती हूँ,
हमने कहा ठीक है,
अगले दिन हम फिर….मैडम कॉपी मैडम बोली कि बेटा मैंने घर देखी थी, आपकी कॉपी मिल गयी है…आज मैं लाना भूल गयी, कल देती हूँ …
मैंने कहा वाह …कमाल हो गया, हमारे बिना submit किये ही कॉपी मैडम के घर पहुँच गयी…
अगले दिन हम फिर…मैडम कॉपी, मैडम याद भी करना है ….
और यूँ हमने 5 दिन तक मैडम को परेशान किया, फिर मैडम ने हमको स्टाफरूम में बुलाया और ज्यों ही बोला कि
“देखो बेटा…आपकी कॉपी हमसे गलती से खो गयी है”
हमने ऐसा मुरझाया मुँह बना लिया जैसे पता नहीं अब क्या होगा और कहा “मैडम अब क्या होगा,
हम इतना दोबारा कैसे लिखेंगे, याद कैसे करेंगे….एग्जाम कैसे देंगे, इतना सारा हम फिर से कैसे लिखेंगे” वगैरह वगैरह झोंक दिया …
मैडम ने ज्यों ही कहा “बेटा तुम चिंता न करो, दसवें चैप्टर से कॉपी बनाओ और बाकी दोबारा मत लिखना, वो हम बंदोबस्त कर देंगे” समझ लो ऐसे लगा जैसे भरी गर्मी में कलेजे पर बर्फ रगड़ दी हो किसी ने….
मानो 50 किलो का बोझा सिर से उतर गया हो, मैडम के सामने तो खुशी जाहिर नहीं कर सकते थे लेकिन
मैडम के जाते ही तीन बार घूँसा हवा में मारकर “Yes…Yes…Yes” बोलकर अपन टाई ढीली करते हुए आगे बढ़ लिए …
अगले दिन मैडम उन 9 चैप्टर की 40 पेज की फोटोस्टेट लेकर आयीं और हमें दी कि ये लो बेटा, कुछ समझ न आये तो कभी भी आकर समझ लेना …
उसी दिन हमें अपनी असली शक्तियों का एहसास हुआ….
तब ही हमने तय किया कि हम कांग्रेस में अपना भविष्य बनाएंगे,खुद मक्कारी करेंगे ,घोटाले करेंगे और पीएम को चोर कहेंगे,
उन्ही से सवाल पुछेंगे ,जवाब सुनने की जगह संसद ही चलने नही देंगे और पूरा देश बंद करवाके हंगामा करेंगे …
वॉट्सएप पर वायरल हो रही मेसेज.. जो भी हो बचपन की याद आ गई
Ayush Kumar Jaiswal,
Founder & Editor
brings over a decade of expertise in ethics to mediajob.in. With a passion for integrity and a commitment to fostering ethical practices, Ayush shapes discourse and thought in the media industry.