मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है 2025: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना माना जाता है। यह तिथि हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ मानी गई है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। यह पर्व पूरे भारत में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। कहीं इसे पोंगल के रूप में तो कहीं बिहू के नाम से मनाया जाता है।
हर राज्य में इस पर्व को अपने रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। दक्षिण भारत में बैलों की पूजा होती है, जबकि उत्तर भारत में पतंग उड़ाने की परंपरा है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन होने वाले प्रमुख आयोजनों और परंपराओं के बारे में।
मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है (Makar Sankranti Kaise Manai Jati Hai):
- धार्मिक महत्व:
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति के दिन सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में गोचर करते हैं। इस दौरान गंगा स्नान और दान करने का विधान है, जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। - दक्षिण भारत:
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति के अवसर पर बैलों की पूजा की जाती है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जिसमें नई फसल का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। - उत्तर भारत:
उत्तर भारत में मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा प्रचलित है। लोग एक-दूसरे के साथ पतंगबाजी का आनंद लेते हैं। - गुजरात:
गुजरात में मकर संक्रांति को “उत्तरायण” कहा जाता है। इस दिन काइट फेस्टिवल का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं।
मकर संक्रांति के दिन क्या करें (What to do on Makar Sankranti):
- गंगा स्नान और दान:
शुभ समय में गंगा स्नान करें और जरूरतमंदों को दान दें। - तिल के लड्डू बनाएं और खाएं:
तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का सेवन करना शुभ माना जाता है। - खिचड़ी बनाएं:
इस दिन खिचड़ी खाने और गरीबों को खिलाने की परंपरा है। - सूर्य देवता को जल अर्पित करें:
सुबह सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दें। - पशुओं की पूजा:
तमिलनाडु में इस दिन बैलों और अन्य पशुओं की पूजा की जाती है।
मकर संक्रांति 2025 शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Shubh Muhurat 2025):
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।
- महापुण्य काल: सुबह 07:33 बजे से सुबह 09:45 बजे तक।
इस अवधि में स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
मकर संक्रांति पर धर्म और संस्कृति से जुड़े इन परंपराओं का पालन करते हुए इस पर्व को आनंदपूर्वक मनाएं।
Ayush Kumar Jaiswal,
Founder & Editor
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