इसके लिए आपमें क्या होना चाहिए- बस 6 बातें…
1. न्यूज सेंस, यानी क्या पढ़ा जाएगा:रीडर/कंज्यूमर आपसे चाहता क्या है, इसकी समझ सबसे जरूरी है। यानी न्यूज सेंस। डिजिटल में इसे समझना बेहद सरल है। हर बात का डेटा है, जो बताता है कि रीडर को क्या, कब, कैसा, कहां और कितना चाहिए। बस आप रीडर को कंज्यूमर मानें।
2. इनपुट की समझ: यहां हर वो विषय है, जो रीडर की पसंद या जरूरत है। आपमें उसे पकड़ने का सलीका हो। आम आदमी की जरुरत को आप समझते हों। अगर आपमें खबर, परखने और उसकी अंतिम लाइन से एंगल निकालने का हुनर है तो आप इस प्रोफाइल के परफेक्ट हैं। ताकि आप रीडर को टॉकिंग प्वाइंट्स और टेकअवे दे सकें।क्या करना है?
– खबरों के लिए सभी एजेंसीज/वेबसाइट/न्यूज पोर्टल-ऐप के ट्विटर को लगातार स्कैन करना है।
– खबर से जुड़ी फोटोज-वीडियो के लिए एजेंसीज/वेबसाइट/न्यूज पोर्टल-ऐप के ट्विटर को देखते रहना है।- दूसरी वेबसाइट्स/ऐप पर कोई अलग एंगल चल रहा है और वह रीडर के लिए जरूरी है तो उसे स्टोरी फार्म में लाना है।
3. अपनी समझ को कहने का सलीका: अपनी समझ को कहें कैसे कि रीडर को अपना लगे, ये जरूरी है। इतना अपना कि रीडर बार-बार भास्कर एप पर आए। साथ ही अपनों से खबर या खबर की सूचना साझा भी करे। इसके लिए भाषा का अच्छा और सुलझा होना जरूरी है। साथ ही सूचनाओं और जानकारियों को उनकी प्राथमिकताओं के साथ रखने का सलीका जरूरी है।
4. उस सलीके को डिजिटल में लाने का हुनर: प्रिंट और टीवी की तरह डिजिटल की भी अपनी कॉम्यूनिकेशन एनाटॉमी है। हेडलाइन से लेकर कवर इमेज तक, कॉपी से वीडियो तक, फोटो से ग्राफिक्स और मोशन ग्राफिक्स तक, कई हिस्से हैं, जिनके जरिये कहानी कही जाती है। इसमें इतना हुनरमंद हों कि खबर सोचने से लिखने तक इसका बेहतर इस्तेमाल कर सकें।
5. बाकी को पढ़ना और खुद को आंकना:जो हमने लिखा या बनाया, वो अच्छा है, पर उस पर बाकी दुनिया भी काम कर रही है। उन्हें पढ़ना, देखना और सुनना होगा। फिर तटस्थ हो एनालाइज करना, ताकि ये समझ पाएं कि हमारी खबर में और क्या गुंजाइश थी।
6. जो आंका, उसके मुताबिक खुद को बदलते जाना: अपने काम के एनालसिस से जो समझ बन रही हो, उसके मुताबिक अपने काम और समझ में लगातार बदलाव जरूरी है। क्योंकि डिजिटल की दुनिया उतनी ही तेजी से बदल भी रही है।
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Ayush Kumar Jaiswal,
Founder & Editor
brings over a decade of expertise in ethics to mediajob.in. With a passion for integrity and a commitment to fostering ethical practices, Ayush shapes discourse and thought in the media industry.