रवीश कुमार
एक अख़बार की भाषा का पतन देखिए। आज यहाँ काम करने वालों ने जनसत्ता को कूड़े में बदल दिया है। हम सभी प्रधानमंत्री की आलोचना करते हैं, व्यंग्य भी करते हैं तब भी भाषा का ध्यान रखते हैं। ट्विटर पर चल रही चीजों को रिपोर्ट किया जाना चाहिए लेकिन वहाँ इस्तमाल की जा रही गटर की भाषा एक अख़बार छापे अच्छा नहीं है। दरअसल पीएम की खुशामद में इस अख़बार ने खुद को इतना बर्बाद कर लिया है कि इसे सही और ग़लत का बोध नहीं रहा। यह हेडलाइन बताती है कि ट्रोल को रिपोर्ट करने के नाम पर अख़बार खुद ही प्रधानमंत्री को ट्रोल कर रहा है। यह अख़बार मेरी कहानी या मेरे बारे में न छापे तो इसे कोई पढ़ता नहीं है। अफ़सोस होता है। ये लोग भी कैसे होंगे। लोगों को कैसे बताते होंगे कि पत्रकार हैं। प्रधानमंत्री ने दूसरों के लिए जो भाषा रची वो इतनी नार्मल हो गई है कि उसी भाषा में अब वे रचे जा रहे हैं।
Ayush Kumar Jaiswal,
Founder & Editor
brings over a decade of expertise in ethics to mediajob.in. With a passion for integrity and a commitment to fostering ethical practices, Ayush shapes discourse and thought in the media industry.