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अरविन्द पाण्डेय जी की वाल से

2013 की बात होगी…जयपुर में फर्स्ट इंडिया नाम के चैनल को लॉन्च होना था। चैनल को एनडीटीवी वर्ल्ड वाइड की टीम ने डिजाइन किया था। लिहाजा तकनीकी से लेकर वर्किंग स्टाइल तक में उनकी छाप का असर तय किया जाना था, लेकिन रीजनल चैनल अपने ही ढंग से चलते हैं ये एनडीटीवी की टीम को समझने में छमाही से ज्यादा नहीं लगा होगा। बहरहाल, लिखने का मकसद ये नहीं है, थोड़ा सा भावुक है, नई टीम में कुछ पुराने लोग थे जिन्हें मैं जानता था ये मेरे वरिष्ठ थे उनके बीच में एक नई टीम राजस्थान के युवा लोगों की…जिसमें कुछ लड़कियां और लड़के थे जो तजुर्बे और उम्र दोनों में मुझसे कम थे….उन्हीं में से एक थीं अनीता…जिनका परिचय मुझे रिपोर्टर के तौर पर ज्ञात हुआ। अनीता से शुरूआती बातचीत का मतलब नहीं था लिहाजा औपचारिक बातचीत में खबर फाइल करने जैसी जानकारी से ज्यादा कुछ नहीं होता था। ये बात चैनल लॉन्चिंग से पहले की है…जैसा कि होता है टीम छोटी और काम का दबाव ऐसा नहीं होता है कि आप फुर्सत के पल तलाश कर संवाद करने की स्थिति में न हो…बातचीत का सिलसिला बढ़ा तो पता चला कि अनीता शादीशुदा हैं और तलाकशुदा भी (अगर मेरी यार्दाश्त सही है तो)….पहनावे से एक मॉडर्न लड़की…जिसे अपनी जिंदगी के स्याह पन्नों को पलटने में कोई तकलीफ नहीं…हमेशा चेहरे पर एक मुस्कान लिए आत्मविश्वास की उस काया की तरह…जिसे खुशियों के लिए अवसर ढूंढने की बजाय अवसर बनाने पर भरोसा ज्यादा था। अपनी इसी सोच की मिल्कियत से उन्होंने अपने लिए रास्ते गढ़ने शुरू किए, और तब के ईटीवी, अब के न्यूज 18 राजस्थान तक का सफर तय किया। अरसा हो गए, सोशल मीडिया पर होते हुए भी अनीता ने शायद एक दूरी बना ली थी…मुझे याद है कि उनका आखिरी बार फोन मेरे पास एक मशवरे के लिए आया था जिसमें उन्हें नौकरी चुनने में दुविधा हो रही थी ये शायद हैदराबाद जाने से पहले की बात है…उसके बाद फेसबुक पर हालचाल होता रहा था । अनीता जीवन से संघर्ष कर रही थी ये उन्होंने कभी जाहिर नहीं किया…जिंदगी को जज्बातों से नहीं जज्बे से जिया….आप सदा खुश रहें….भगवान भोलेनाथ से यही प्रार्थना है और ईश्वर आपको एक बार फिर अनीता बना कर ही भू लोक पर भेजे यही कामना है…..

ओम शांति शांति…..

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